ईंपे ईसू वाँने क्यो, “थाँ अस्या लोग-बाग हो, जी मनकाँ का हामे आपणाँ खुद ने धरमी बतावे हे, पण परमेसर थाँका मन ने जाणे हे। मनक जिंने मोटा हमजे हे, वो परमेसर की देकणी में कई ने हे।
पछे कूण हे ज्यो आपाँने दोसी बतावे? काँके ईसू मसी आपणाँ वाते मरग्यो हो अन वींने पाछो जिवायो ग्यो। वोईस हे ज्यो परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेटो हे अन आपणाँ वाते अरज करे हे।
पण जस्यान परमेसर माँने ईं जोगा जाणन हव हमच्यार ने हुणाबा को काम हूँप्यो हे। माँ ईंने वस्यानीस हुणावा हा अन अस्यान करन माँ मनकाँने ने, पण परमेसर ने जीं हरदा ने परके हे वाँने राजी कराँ हाँ।
ईं वाते थाँ एक दूजाँ का हामे खुद का पाप ने मानलो अन एक दूजाँ का वाते परातना करता रेवो, जणीऊँ थाँ हव वे जावो। धरमी मनक की परातना घणी जोरवार अन असर करबाळी वेवे हे।