22 काँके आपाँ जाणा हा के, अबाणू तईं हारी दनियाँ बाळक जणवा की पिड़ा का जस्यान तड़पन गा कररी हे।
पछे ईसू वाँने क्यो, “दनियाँ की हारी जगाँ में जावो अन हारई लोगाँ ने हव हमच्यार हुणावो।
बाळक जणवा की टेम लुगई ने पिड़ा वेवे हे, काँके वाँके दुक की घड़ी हे। पण जद्याँ वाँ बाळक ने जनम दे देवे, तो वाँ अणी खुसीऊँ के, दनियाँ में एक बाळक जनम्यो हे, वीं दुक की घड़ी ने पाच्छी आद ने राके हे।
ओ जग खुद की मरजीऊँ ने पण ईंने बणाबावाळा की मरजीऊँ ने फलबा का अदिकार में ईं आसऊँ किदो ग्यो हे
ओ तद्याँ वेवे हे जद्याँ थाँ विस्वास में अटल बण्या रेवो अन ज्यो हव हमच्यार थाँ हुण्यो हो वणीऊँ मली तकी आस में गाटा बण्या तका रेवो। अणी हव हमच्यार को परच्यार आकास का रेटे हारी दनियाँ में व्यो हे। अन मूँ पोलुस ईंको सेवक हूँ।
वाँ गरबवती ही अन बाळक जनमबा वाळी ही, ईं वाते वाँ पिड़ाऊँ गा करीरी ही।