ईसू वींने जवाब दिदो, “यद्याँ थूँ परमेसर का दान ने जाणती, अन ओ भी जाणती वो कुई हे, ज्यो थाँराऊँ केवे हे, ‘मने पाणी पा’, तो थूँ वणीऊँ मांगती अन वो थने जीवन को जळ देतो।”
तो पछे ईंमें मेपणा की कई बात ने री। वो तो खतम वेग्यो हे। यो कस्या नेमा का मस ने अन ने कस्या कामाँ का नेमा का मस, पण यो तो विस्वास का नेमा का मस वेवे हे।
पण अबे थाँने पापऊँ छुटकारो मलग्यो ग्यो हे अन परमेसर का दास बणा दिदा ग्या हो, तो ज्या खेती थाँ करिया हो, वाँ थाँने परमेसर का आड़ी खरईपणा में लेजाई। जिंको आकरी फळ अनंत जीवन हे।
पण मूँ मारी देह में एक दूजाँ नेमा ने काम करता देकूँ हूँ जीं मारा मन का नेमाऊँ लड़े हे अन मने पाप का नेमा में बन्दी बणा लेवे हे। ईं नेम मारी देह में काम करे हे।
हो मारा भायाँ हुणो, मसी की देहऊँ थाँ भी मूसा का नेमा का वाते मरग्या हो। तो अबे थाँ कणी दूजाऊँ जुड़ सको हो, वणीऊँ जिंने मरिया तकाऊँ पाछो जीवतो किदो हे। जणीऊँ आपाँ परमेसर का वाते फला फूला।
अन वणाईस माने नवा करार का दास वेबा का वाते बलाया हे। आ कस्यी लिकी तकी बात तो ने हे पण आ तो आत्मा को करार हे, काँके लिकी तकी बाताँ तो मनक ने मारे हे पण आत्मा वाँने जीवन देवे हे।
पण ज्यो आजादी देबावाळी परमेसर की हिक पे ध्यान लगावे अन चाले हे, वो आपणाँ काम में आसीस पाई, काँके ज्यो वो हुणे हे वींने भूले कोयने अन जस्यान वो हुणे हे वस्यानीस वो करे हे।
ईंका केड़े वीं हरग-दुत मने जीवन देबावाळा पाणी की एक नंदी बतई। वाँ नंदी बिल्लोर का काँस जस्यान चमकती तकी पुवितर ही। वा नंदी परमेसर अन उन्याँ का वटेऊँ निकळन नगर की हड़क का वसा-वस वेती ही।