“‘परमेसर केवे के अन्त की टेम में अस्यो वेई के, मूँ आपणी आत्मा हारई मनकाँ में नाकूँ, थाँका बेटा-बेटी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबा लाग जाई, थाँका मोट्यार मनक दरसावो देकी, अन भूण्डा-ठाड़ा लोग-बाग हपनो देकी।
ईसू परमेसर का जीमणा पाल्डे आपणो हंगळाऊँ ऊसी जगाँ बिराजो अन जस्यान परमेसर वादो किदो वस्यान पुवितर आत्मा पई। वाईस पुवितर आत्मा आपणाँ ने दे दिदी, जिंका बारा थाँ देकरिया अन हुणरिया हो।
जस्यान सास्तर केवे हे के, “हुणो, में सिय्योन में एक भाटो मेल राक्यो हूँ, ज्यो ठोकर खवाड़े हे अन एक छाँट ज्यो पाप करावे हे। पण वो ज्यो वींमें विस्वास करी, वो कदी हरमा ने मरी।”
जद्याँ आपाँ उगाड़ा मुण्डाऊँ काँस का जस्यान परबू की चमक को चलको पाड़ा हाँ, तो आपाँ भी वींके जस्यान वेबा लागा हाँ अन वाँ चमक आपाँ में ओरू भी हेलीऊँ हेली वेबा लागे हे अन आ चमक भी परबू का आड़ीऊँइस आवे हे, मतलब आत्माऊँ।
काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।
अन थाँ ज्यो परमेसर का बेटा-बेटी हो, ईं वाते परमेसर ने आपणाँ पूत की आत्माने थाँका हरदा में खन्दई, वाईस आत्मा “हो बापू, हो पीता” केन परमेसर ने हेलो पाड़े हे।