19 अन वो ज्यो हो वर को हो, आपणाँ मरिया तका सरीर अन सारा का गरब की मरी तकी दसा ने जाणन भी वो विस्वास में कमजोर ने व्यो।
ईसू क्यो, “आव!” तद्याँ पतरस नाव पूँ उतरन ईसू का नके जाबा ने पाणी पे चाळबा लागो।
ईसू तरत हात लाम्बो करन वींने पकड़ लिदो अन वींकाऊँ क्यो, “ये कम विस्वास करबावाळा, थाँ काँ भेंम किदो?”
ईं वाते जद्याँ परमेसर छापेड़ा की चुंटी ने, ज्यो अबाणू हे, अन काले वादी में बाळी जई, वींने अतरी हव बणावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा, कई थाँने हव गाबा ने पेराई?
तद्याँ ईसू वणाऊँ क्यो, “हो कम विस्वासवाळा, काँ दरपो हो?” अन वाँकाणी उटन डूँज अन लेराँ ने तापड़ी अन च्यारूँमेर डूँज सान्त वेगी।
माँस खाणो हव ने हे, दारू पिणो हव ने हे अन कस्यो भी अस्यान को काम करणो हव ने हे ज्यो थाँका भायाँ ने पाप में नाके हे।