तो आ बात साबत वेवे हे के, परमेसर को वादो विस्वास को फळ हे ज्यो वाँकी करपाऊँ में मले हे। अणीस वजेऊँ परमेसर को वादा अबराम का हाराई लोगाँ पे लागू वेवे हे, अन बेस वाँका वातेईस ने जीं नेमाने माने हे पण वाँ हाराई पे जीं अबराम का जस्यान विस्वास राके हे। वो आपणाँ हाराई को बापू हे।
अन परमेसर का आड़ीऊँ थाँ ईसू मसी में हो, मसी ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ आपणाँ वाते ग्यान ठेरियो अन वींका वजेऊँ आपाँ परमेसर का हामे सई अन पुवितर मनक बण्या अन आपाँने छुटकारो मल्यो।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।
में वणीऊँ क्यो, “हे मालिक, थाँ तो जाणोई हो।” तो वणा माराऊँ क्यो, “ईं वीं मनक हे जी कळेस जेलन आया हे अन अणा आपणाँ गाबा ने उन्याँ का लुईऊँ धोन धोळा किदा हे।