सास्तर में लिक्यो तको हे, “परमेसर वाँने बना चेता की आत्मा दिदी। ‘अस्यान की आक्याँ दिदी ज्याँने दिके कोयने। अन अस्यान का कान्दड़ा दिदो ज्यो हुण ने सके।’ अन आ दसा अबाणू तईं बणी तकी हे।”
कदी भी अस्यान ने वेवे, यद्याँ हाराई मनक जूटा हे, तो भी परमेसर हाँचा हे। जस्यान सास्तर में लिक्यो तको हे के, “जणीऊँ थूँ थाँरी बाताँ में धरमी वेवे अन न्याव करती टेम में थूँ जे पावे।”
काँके मसी ने मानबाऊँ पेल्याँ आपाँ भी बना ग्यान का, केणो ने मानबावाळा, भटक्या तका अन हरेक तरियाँ की मो-माया का गुलाम हाँ। आपणो जीवन बुरई अन मेपणाऊँ भरियो हे। अन आपाँ एक-दूजाऊँ दसमणी राकता हाँ।
पण दरपण्या अन बना विस्वासवाळा, भरस्ट, हत्यारा अन कुकरमी, जादु-टोना करबावाळा, मूरती पुजबावाळा, अन हाराई जूट बोलबावाळा को भाग वीं कुण्ड में मली ज्यो हमेस्यान बळतो रेवे हे। या दूजी मोत हे।”
पण जादु-टोना करबावाळा, कुकरमी, हत्यारा, मूरती पुजबावाळा, अन हरेक तरियाऊँ जूट पे चालबावाळा, जूटऊँ परेम करबावाळा ईं अड़क्या गण्डकड़ा का जस्यान हे अन ईं हाराई नगरऊँ बारणे पड़्या रेई।