24 जस्यान के सास्तर में लिक्यो तको हे के, “थाँकी वजेऊँ ज्यो यहूदी ने वाँ मनकाँ में परमेसर का नाम को अपमान किदो जावे हे।”
ठोकर देबावाळा ने धिकार हे। ठोकर को लागणो जरूरी हे, पण धिकार हे, वीं मनक पे जणीऊँ आ ठोकर लागे हे।
ईं वाते मूँ छावूँ हूँ के, मोट्यार विदवा लुगई ब्याव करन बाळक जनमे, अन आपणाँ घर की देक-रेक करे, जणीऊँ वाँ आपणाँ दसमणा ने आपणाँ खिलाप बुरो केवाँ को मोको ने देवे।
यद्याँ थूँ दास हे, तो थने थाँरा मालिक की इजत अन वींको मान करणो छावे, जणीऊँ कुई भी परमेसर का नाम अन आपणी हिक का बारा में बुरो ने बोल सके।
वीं खुद पे काबू राकबावाळी, पुवितर, भली अन आपणाँ धणी का क्या में चालबावाळी, घर ने बणाबावाळी हव लुगई वे, जणीऊँ कुई भी परमेसर का नकेऊँ आबावाळा हमच्यार का बारा में बुरा ने बोले।
अस्यी मिटी बोली बोल के, जिंपे कुई आँगळी ने तोके। थाँरा दसमण हरमा मरे जणीऊँ वाँने आपणाँ बारा में बुरो केवा को मोको ने मले।
घणा मनक वाँकी बाताँ मानन हूँगला काम करी, जिंकी वजेऊँ हाँच का गेला की बदनामी किदी जाई।