अणी बात ने हूँणने ईसू क्यो, “ओ मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा थाँने धिकार हे। थाँ अस्यो बोज जिंने उठाणो भी घणो दोरो हे। मनकाँ रे ऊपरे लादो हो। पण, थाँ खुद वणी बोज के आपणी आँगळीऊँ भी टेको ने देणो छावो हो।
ईसू वाँकाऊँ क्यो, “थाँ मारा पे या केवत जरुर केवो, ‘हे वेद पेल्याँ आपणाँ खुद ने साबत कर। अन यो भी केवो के, कफरनहूँम में ज्यो कई किदो हे वींका बारा में माँ हुण्यो हे, वस्योईस आपणाँ नगर में भी कर।’”
पण मूँ आपणी देह ने घणी मेनत करान खुद का क्या में राकूँ हूँ, ताँके कटे अस्यान ने वे जावे के, दूजाँ का उपदेस देयाँ केड़े मूँ परमेसर का आड़ीऊँ बेकार मान्यो जाऊँ।
काँके वीं ज्याको खतनो वेग्यो हे वीं खुद तो मूसा का नेमा को पालण ने करे हे, पछे भी वीं छावे हे के, थाँ भी खतनो करावो, ताँके थाँके अणी देह का रिवाज मानबा पे वीं मेपणो कर सके।