काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।
पण थाँ आपणाँ गाटा अन कदी पछतावो ने करबावाळा मन के वजेऊँ परमेसर का गुस्सा ने आपणाँ वाते त्यार कररिया हो। वो गुस्सो थाँरा पे वीं दन पड़ी जदी परमेसर को हाँचो न्याव परगट वेई।
ईं वाते जद्याँ तईं परबू ने आवे वणीऊँ पेल्याँ किंको भी न्याव मती करो। वीं तो अदंकार में हपी तकी बाताँ ने भी उजिता में दिकाई अन मना की बाताँ भी हामे लाई अन वणी दाण परमेसर का आड़ीऊँ हरेक की बड़ई वेई।
अन अबे वटे परमेसर का हाते जीत को ईनाम मारी वाट नाळरियो हे, जिंने धरमी अन खरा न्याव करबावाळा परबू आकरी दन में मने देई। मने एकला नेईस ने, पण वाँ हाराई ने भी ज्यो परेम का हाते वींके परगट वेबा की वाट नाळे हे।