17 हो मारा भायाँ, मूँ थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, थाँने ज्या हिक मली, वींके खिलाप में थाँकामें फुट नाकबावाळा अन दूजाँ का विस्वास ने बगाड़बावाळाऊँ छेटी रेज्यो।
हाराऊँ पेल्याँ तो में ओ हुण्यो हो के, जद्याँ थाँ विस्वासी मनक मण्डली में भेळा वेवो, तो थाँकामें फुट पड़ जावे हे अन मूँ थोड़ो घणो ईंने हाँच भी मानूँ हूँ।
काँके थाँ अबाणू तईं दनियाँ का मनकाँ का जस्यान हो, ईं वाते थाँकामें रिस्याँ बलणो अन कळेस मोजुद हे, तो कई थाँ दनियाँ का सांसारिक मनक ने हो अन थाँ सांसारिक मनकाँ के जस्यान वेवार करो हो?
हूँस्यार रेज्यो, कुई थाँने अकलऊँ अन धोकाऊँ आपणाँ गुलाम ने बणा ले, ज्यो मनकाँ का रिति-रिवाजऊँ अन दनियाँ की बाताँ के जस्यान तो हे, पण ईसू मसी के जस्यान कोयने।
हो विस्वासी भायाँ, माँ थाँने परबू ईसू मसी में ओ आदेस देवा हा के, हरेक अस्या मनकाऊँ छेटी रेज्यो जीं आळकातक हे अन ज्या हिक माँ वाँने दिदी हे वींके जस्यान ने करे।