चेला ने गरू का बराबर वेवा में अन हाळी ने मालिक का बराबर वेवा मेंईस संतोक करणो छावे। यद्याँ वीं घर का मालिक ने बालजेबूल केवे, तो वाँका घर का लोगाँ ने ओरी हेलो बुरो काँ ने केई?
पछे थोड़ाक आगे जान वे धरती पे उन्दो पड़न परातना किदी, “ओ मारा बाप, यद्याँ वे सके तो या दुक को प्यालो माराऊँ छेटी वे जावे, तो भी मूँ छावूँ जस्यान ने, पण जस्यान थूँ छावे वस्यानीस वेवे।”
यद्याँ मूँ वाँका में वीं काम ने करतो, जिंमें किदो, तो वीं पापी ने बणता। पण अबे वाँकाणी वणा कामाँ ने देक्या हे, तद्याँ भी वीं माराऊँ अन मारा बापूऊँ दसमणी किदी।
“मूँ आपणाँ खुद का हकऊँ कई भी ने कर सकूँ हूँ, ज्यो परमेसरऊँ हूणूँ हूँ, वींके जस्यानीस न्याव करूँ हूँ। अन मारो न्याव हाँचो हे, काँके मूँ मारी मरजी ने कोयने, पण मारा खन्दाबावाळा की मरजी ने पुरी करूँ हूँ।
काँके थाँ आपणाँ परबू ईसू मसी की दया ने तो जाणोइस हो अन थाँ ओ भी जाणो हो के, वीं अमीर वेता तका भी थाँका वाते गरीब बणग्या। जणीऊँ वाँकी गरीबीऊँ थाँ अमीर वे जावो।