पण मूँ आपणाँ जीव ने कई ने हमजूँ। मूँ तो बेस वीं दोड़ अन सेवा का काम ने पूरो करणो छारियो हूँ, जिंने में परबू ईसुऊँ पाई हे, जो परमेसर की करपा का हव हमच्यार की गवई देणो हे।”
पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।
थाँको विस्वास ज्यो परमेसर के चड़ी तकी बली अन सेवा के जस्यान हे, वींका वाते यद्याँ मने मारो लुई भी वेवाड़णो पड़े तद्याँ भी मूँ राजी हूँ अन थाँ हाराई का हाते खुसी मनाऊँ हूँ।
जद्याँ मूँ अस्यान बोलरियो हो के, तद्याँ हरगऊँ आ अवाज हुणई, “ईंने लिकी ले। ज्यो परबू की सेवा करता करता मरे हे वीं धन्न हे।” आत्मा केवे हे के, “वीं आपणाँ कामाँऊँ आराम पाई, अन वाँका काम वाँके हाते हे।”