पतरस वाँने क्यो, “थाँ जाणो हो के, एक यहूदी के वाते ज्यो यहूदी ने हे वणीऊँ वेवार राकणो कन वाँका नके जाणो नेम को उल्टो हे। पण परमेसर मने बतायो के, मूँ किंने भी हुगलो अन असुद ने केवूँ।
पण जद्याँ कुई अस्यान की चीज खावे हे, जिंके खाबाऊँ वो संका में वे, तो वो दोसी वेवे हे। काँके वींको खाणो वींका विस्वास का जस्यान कोयने हे अन वो हारोई ज्यो विस्वास पे ने टक्यो तको, वो पाप हे।
काँके यद्याँ कुई “थाँ ग्यानी” ने मन्दर में चड़ई तकी चिजाँ खाता देक ले अन वो कमजोर विस्वासवाळो मनक वे, तो कई वींका मन में मूरताँ का हामे चड़ई तकी चिजाँ खाबा को मन ने वे जाई?
पण ओ ग्यान हाराई का नके ने हे। नरई तो अबाणू भी मूरताँ की पुजा करे हे अन अस्यी चिजाँ खावे हे अन होचे हे के, जस्यान वीं चिजाँ मूरत्याँ को परसाद हे। ईं वाते वाँके अस्यान करबाऊँ वाँकी अंतर-आत्मा असुद वे जावे हे काँके वीं कमजोर हे।