11 टेम ने देकता तका थाँ अस्यान करो, काँके थाँ जाणग्या हो के, नींदऊँ जागबा की टेम आगी हे। अन जद्याँ आपाँ विस्वास किदो हो, वीं टेमऊँ का हस्याबूँ आपणो छुटकारो अबाणू हेलो नके हो।
अन भाग-फाट्याँ केवो हो, ‘आज बरका आई, काँके आकास रातो अन धुळ भरियो हे।’ थाँ आकास ने देकन वींका भेद बता सको हो, पण टेम का हेन्याण का भेद ने काँ ने बता सको हो?
थाँ होस में आन ज्यो सई हे, वींका बारा होचो अन पाप करणो छोड़ दो। काँके थाँकामूँ नरई तो अस्या हे ज्यो परमेसर का बारा में कई ने ने जाणे हे, मूँ यो थाँकी हरम का वाते केरियो हूँ।
जद्याँ ईं हारी चिजाँ नास वेबावाळी हे तो थाँ होचो थाँने कस्यान को जीवन जीवणो छावे? थाँने पुवितर जीवन जीवणो छावे, काँके पुवितर जीवन परमेसर ने हव लागे हे।
परबू आपणाँ वादा ने पूरा करबा में देर ने लगावे, जस्यान नरई मनक होचे हे। पण परमेसर आपणाँ वाते धीरज राके हे, काँके वो किंने भी नास करणो ने छावे हे। पण वो छावे हे के, हाराई मनक आपणाँ मन ने पापऊँ अलग करन मन फेरे।
वीं मनक धन्न हे जीं परमेसर का ईं दरसावा की किताब का संदेसा ने भणे अन हुणे अन ईंका मयने जो बाताँ लिकी तकी हे, वाँके जस्यान चाले हे। काँके वाँ टेम नके हे, जद्याँ ईं बाताँ पुरी वेई।