हो बापू, मारी या अरज हे के, वीं हाराई एक वेवे, जस्यान मूँ थाँकामें हूँ अन थाँ मारा में हो, वस्यानीस वीं भी आपाँ में एक वेवे, जणीऊँ दनियाँ विस्वास करे के, थाँ मने खन्दायो हे।
किंकी भी उदारी हे तो वींने चुका दो, अन ज्यो कर थाँने देणो हे वो दिदो। किंको जद्याँ हाँसल निकळे, तो वींने दिदो। जणीऊँ दरपणो छावे, वणीऊँ दरप। जिंको आदर करणा छावे, वींको आदर कर।
पण हो भायाँ, थाँने तो परमेसर आजाद वेवा के वाते बलाया हे, पण अणी आजादी ने थाँ आपणाँ सरीर का कामाँ ने पूरा करबा का वाते काम में मती लावो, पण परेम-भावऊँ एक दूजाँ की सेवा करो।
हो भायाँ-बेना, थाँका वाते माँने परमेसर ने धन्नेवाद देतो रेणो छावे अन ओ सई भी हे, काँके थाँको विस्वास घणो बड़तो जारियो हे, अन थाँको हाराई को परेम एक-दूँजा में घणो फल-फुलरियो हे।
अबे जद्याँ थाँ हाँच ने मानता तका, हाँचा भईचारा का परेम ने बताबा का वाते आपणी आत्माने पुवितर कर लिदी हे, ईं वाते थाँ एक-दूँजा में पुवितर मनऊँ परेम करबा की मनसा बणालो।
हो मोठ्याराँ, अणीस तरियाँ थाँ भी परदानाँ का बंस में रेवो, थाँ हाराई का हाराई सेवा करबा वाते दया का हाते त्यार रेवो, काँके “परमेसर मेपणो करबावाळा का खिलाप में हे, पण जो मनक खुद ने फोरो बणावे हे वींके ऊपरे परमेसर दया करे हे।”