मने आ भी दरपणी लागे हे के, जद्याँ मूँ थाँकाऊँ मलबा आऊँ तो थाँका हामे मारो परमेसर मने हरमा ने मारे। मने वाँका वाते ज्यो पेल्याँ पाप किदो हो जस्यान कुकरम, हूगळोपणो अन भोग-विलास में जीव जियो हो अन आ बाताँ ने करबा का केड़े भी वीं आपणाँ मन ने ने फेरिया, वाँ वाते रोणो ने पड़े।
वींने दूजाँ वीं पेला डरावणा जनावर की मूरती में जीव नाकबा को हक दिदो ग्यो हो, जणीऊँ वाँ मूरती बोलबा लागे। वीं मूरत के जतरा भी मनक धोग ने लागी, वाँने वो मरवा देई।
वींके केड़े दूज्यो हरग-दुत आन केबा लागो, “वीं मोटा नगर बाबुल को नास वे चुक्यो हे, वींको नास वे चुक्यो हे। अणी नगर हाराई मनकाँ ने आपणाँ कुकरम की वासना को दाकरस पायो हो।”
काँके अणा मनकाँ थाँका दासा अन थाँका आड़ीऊँ बोलबावाळा को लुई वेवाड़्यो हे। थाँ न्याव करबावाळा हो, थाँ वाँके पिवा का पाणी ने लुई बणा दिदो, काँके वीं अणीईस जोगा हे।”
वणी लुगई लाल रंग का बेगनी गाबा पेर मेल्या हा। वाँ हीरा मोत्याऊँ अन होना, चाँदीऊँ खुद को सिगार कर मेल्यो हो। वींके हात में होना को प्यालो हो, जिंका में बुरी बाताँ अन कुकरम की चिजाँ भरी तकी ही।
काँके वणा हाराई मनकाँ ने कुकरम का वासना को दाकरस पायो हे। अन ईं धरती का हाराई राजा वींके हाते कुकरम किदो। अन ईं धरती की हाराई लेण-देण करबावाळा, वींका भोगन विलास की वजेऊँ रिप्यावाळा वेग्या हा।”
वाँका हाराई फेसला हाँचा अन न्याव करबावाळा हे, काँके वणी वीं वेस्याँ को ज्या धरती का मनकाँ ने कुकरम करवाती अन वाँने वगाड़ती ही वींको न्याव करियो ग्यो हे, अन हातेई हाते आपणाँ दासा का लुई को बदलो लिदो ग्यो हे।”
पण दरपण्या अन बना विस्वासवाळा, भरस्ट, हत्यारा अन कुकरमी, जादु-टोना करबावाळा, मूरती पुजबावाळा, अन हाराई जूट बोलबावाळा को भाग वीं कुण्ड में मली ज्यो हमेस्यान बळतो रेवे हे। या दूजी मोत हे।”
पण जादु-टोना करबावाळा, कुकरमी, हत्यारा, मूरती पुजबावाळा, अन हरेक तरियाऊँ जूट पे चालबावाळा, जूटऊँ परेम करबावाळा ईं अड़क्या गण्डकड़ा का जस्यान हे अन ईं हाराई नगरऊँ बारणे पड़्या रेई।
पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।