वींके केड़े पाँचवे हरग-दुत आपणो प्यालो वीं डरावणा जनावर की गादी पे उँन्धई दिदो, जणीऊँ वींका राज-दरबार में अदंकार वेग्यो। घणा दुक की वजेऊँ वटा का मनक आपणी जीब के बटका भर लिदा।
जद्याँ चोते हरग-दुत रणभेरी बजई, तो एक तीहाई सुरज, चाँद अन तारा पे विपती आई। ईं वजेऊँ वाँको एक तीहाई भाग काळो पड़ग्यो। जिंका वजेऊँ एक तीहाई दन अन रात में अन्दारो वेग्यो।
मने वीं दरसावा में वीं घोड़ा अन वणापे जो सवार हा, वीं दिकई दिदा, वाँका जिलम वादी की जस्यान लाल, तेजाब की जस्यान पिळी अन गेरा निळा रंग की ही। अन वाँका घोड़ा का माता नार का माता का जस्यान हा। अन वाँका मुण्डाऊँ वादी, धूवो अन तेजाब निकळरियो हो।