19 वणा घोड़ा की तागत मुण्डा अन पुछ में ही काँके वाँकी पुछ हाँप का जस्यान ही, अन वाँकी पुछ के, मातो भी हो, जणीऊँ मनकाँ ने दुक दिदो जारियो हो।
जणीऊँ आपीं आगे बाळक कोयने रेवा, ज्यो ठग मनक की ठग-वद्याँ अन चतुराईऊँ, भेंम की बाताँ अन छळ का उपदेस का वइराऊँ ऊछाळ्यो जावे हे अन अटने-वटने भटके हे।
वाँकी पुछ अस्यान लागरिया ही, जस्यान विच्छु का डंक वे। वाँने पाँच मिना तईं मनकाँ ने दुक देबा का वाते तागत दिदी गी ही।
वाँके मुण्डाऊँ ज्या वादी, धूवो अन तेजाब निकळरियो हो, वणाऊँ एक तीहाई मनक मारिया ग्या।
पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।