ईंका केड़े परमेसर का मन्दर ने जो हरग में हे वींने खोल्यो ग्यो, अन वीं मन्दर में मने वादा वाळी पेटी दिकई दिदी। वींके केड़े विजळी चकमवा लागी अन कड़कवा की अवाज हुणई देबा लागी अन वादळा गाजबा लाग्यो, अन भूकम आबा लागो अन गड़ा पड़बा लागा।
ईंके केड़े एक ओरी हरग-दुत होना को धुपदान लेन आयो अन वेदी का नके ऊबो वेग्यो। वींने धरमिया की परातना का हाते होना की वेदी पे जो गादी का हामे ही, वींपे चड़ाबा का वाते नरोई धुप दिदो।