12 जद्याँ चोते हरग-दुत रणभेरी बजई, तो एक तीहाई सुरज, चाँद अन तारा पे विपती आई। ईं वजेऊँ वाँको एक तीहाई भाग काळो पड़ग्यो। जिंका वजेऊँ एक तीहाई दन अन रात में अन्दारो वेग्यो।
ईं दनियाँ को सेनापती ज्यो सेतान हे, वो वणा मनकाँ की अकल ने बन्द कर मेली हे जीं विस्वास ने करे हे। जणीऊँ वीं परमेसर का रूप में मसी ने अन वाँकी मेमावान उजिता का हव हमच्यार ने ने देक सके।
वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
वींके केड़े पाँचवे हरग-दुत आपणो प्यालो वीं डरावणा जनावर की गादी पे उँन्धई दिदो, जणीऊँ वींका राज-दरबार में अदंकार वेग्यो। घणा दुक की वजेऊँ वटा का मनक आपणी जीब के बटका भर लिदा।
तो वणा च्यारई दुताँ ने खोल दिदा ग्या, ईं वीं हरग-दुत हा, जिंने वीं टेम, वीं दन, वीं मिना अन वीं वर वाते त्यार कर मेल्या, जणीऊँ वीं एक तीहाई मनकाँ ने मार नाके।