ईं वाते हाराई लोग-बाग जस्यान परमेसर को आदर-मान करे हे वस्यानीस मारो भी आदर-मान केरी। ज्यो मारो आदर-मान ने करे हे, वीं वणा परमेसर को भी आदर-मान ने करी, जणा मने खन्दायो हे।
परबू थाँकाऊँ हाराई मनक दरपता रेई। हाराई मनक थाँको नाम लेन जे-जेकार करी, काँके खाली थाँईस पुवितर हो। हारी जात्या का मनक थाँका नके भेळा व्या हे वीं थाँकी भगती करी। काँके थाँका किदा तका काम हामे हे, अन हो परबू थाँ ज्या भी करो हो, वो न्याव हे।”
पण वणी माराऊँ क्यो, “थूँ अस्यान मती कर, काँके मूँ थाँरो अन थाँरा भायाँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन ईं किताब की बाताँ ने मानबावाळा का लारे को दास हूँ। बेस थूँ परमेसर की भगती कर।”
अन वीं गादी का हामें बिल्लोर का काँस का जस्यान दिकबावाळो समन्द हो। वीं समन्द का बचमें में अन गाद्याँ का च्यारूँमेर च्यार जीवता जीव हा, वाँके आगे-पाछे आक्याँ ईं आक्याँ ही।