11 वाँ हाराई ने धोळा चोळो पेरायो ग्यो हो अन वाँने क्यो ग्यो हो के, “थोड़ीक टेम ओरी वाट नाळो, जद्याँ तईं थाँकी हण्डाळ्याँ की गणती पुरी ने करी जावे, ज्याँने थाँकी जस्यान मारिया जाई।”
पण मूँ आपणाँ जीव ने कई ने हमजूँ। मूँ तो बेस वीं दोड़ अन सेवा का काम ने पूरो करणो छारियो हूँ, जिंने में परबू ईसुऊँ पाई हे, जो परमेसर की करपा का हव हमच्यार की गवई देणो हे।”
अन पाठव्या की आणन्द की सबा में मतलब जणा विस्वास्याँ का नाम हरग में लिक मेल्या हे अन हाराई को न्याव करबावाळा परमेसर का नके अन सिद बण्या तका धरमिया की आत्मा का नके,
वींने दूजाँ वीं पेला डरावणा जनावर की मूरती में जीव नाकबा को हक दिदो ग्यो हो, जणीऊँ वाँ मूरती बोलबा लागे। वीं मूरत के जतरा भी मनक धोग ने लागी, वाँने वो मरवा देई।
जद्याँ मूँ अस्यान बोलरियो हो के, तद्याँ हरगऊँ आ अवाज हुणई, “ईंने लिकी ले। ज्यो परबू की सेवा करता करता मरे हे वीं धन्न हे।” आत्मा केवे हे के, “वीं आपणाँ कामाँऊँ आराम पाई, अन वाँका काम वाँके हाते हे।”
में वणीऊँ क्यो, “हे मालिक, थाँ तो जाणोई हो।” तो वणा माराऊँ क्यो, “ईं वीं मनक हे जी कळेस जेलन आया हे अन अणा आपणाँ गाबा ने उन्याँ का लुईऊँ धोन धोळा किदा हे।
ईंका केड़े में कई देक्यो के, मनकाँ का मोटी भीड़ हे जिंने कुई भी गण ने सके, वीं भीड़ में हारी जात्या का, हाराई कुल का, हारी बोली बोलबावाळा अन हाराई देसा का मनक हा, वीं वणी गादी अन उन्याँ का हामे ऊबा हा, वणा धोळा गाबा पेर मल्या हा अन हाताँ में खजुर की डाळ्याँ ले राकी ही।