ईंका केड़े में देक्यो के हरग को बारणो खुल्यो हे अन वाँ अवाज जो मने पेल्याँ हुणई दिदी ही, रणभेरी की अवाज में बोलरी ही के, “ऊपरे अई जा, मूँ थने वीं बाताँ बताऊँ जीं आबावाळा टेम में पकी वेबावाळी हे।”
तो वणा पुरवज मेंऊँ एक माराऊँ क्यो, “रोवे मती। देक, यहूदा का गोत मेंऊँ वो नार, ज्यो दाऊद को मुल हे, वो वीं किताब ने अन वींकी मोराँ खोलबा वाते जीत हासील किदी हे।”