6 अन वीं गादी का हामें बिल्लोर का काँस का जस्यान दिकबावाळो समन्द हो। वीं समन्द का बचमें में अन गाद्याँ का च्यारूँमेर च्यार जीवता जीव हा, वाँके आगे-पाछे आक्याँ ईं आक्याँ ही।
वीं मनक गादी का हामें, च्यारई जीवता जीव का हामे अन पुरवजाँ का हामे नुवो गीत गारिया हा। अन ईं गीत ने वीं एक लाक चमालिस हजार मनक ज्याँने धरती का बन्धनऊँ छुड़ाया ग्या हा, वाँने छोड़न कुई भी ओ गीत ने हिक सकतो हो।
ईंका केड़े मने काँस का जस्यान को समन्द नजर आयो वो अस्यान दिक्यो हो जस्यान के, वींके मयने वादी वेवे। जी मनक वीं डरावणा जनावर की मूरती अन वींका नाम का नम्बरऊँ जितग्या हा, वाँने वीं काँस का समन्द पे ऊबा तका देक्यो। वणा का नके परमेसर का आड़ीऊँ दिदी तकी रणभेरी ही।
ईंका केड़े वीं हरग-दुत मने जीवन देबावाळा पाणी की एक नंदी बतई। वाँ नंदी बिल्लोर का काँस जस्यान चमकती तकी पुवितर ही। वा नंदी परमेसर अन उन्याँ का वटेऊँ निकळन नगर की हड़क का वसा-वस वेती ही।
अन जद्याँ वणी किताब ले लिदी, तो वणा च्यारई जीवता जीव अन वीं चोवीस पुरवज वींके धोक लाग्या। वणा हाराई का नके विणा ही अन वीं वाना आबावाळी चिजाँऊँ भरिया तका होना का प्याला लेन राक मेल्या हा। यो धरमिया की परातना दिकावे हे।
में देक्यो के, वणी उन्ये वणा हात मोराँ मेंऊँ एक मोर खोली। तो वाँ च्यार जीवता जीव मेंऊँ एक ने में वादळा की गाजबा की अवाज का जस्यान ओ केतो तको हुण्यो, “आ।”
अन में वणा च्यारई जीवता जीव का बचमें मेंऊँ ओ हेलो हुण्यो, “आबावाळा टेम में धरती पे काळ पड़ी, वीं टेम में एक दन की दानकी में एक दन का खावा अतराक गऊँ कन एक दन की दानकी में तीन दनाँ खावा अतराक जो मली, पण जेतुन का तेल अन अंगूरा को रस को भाव ने बदली।”
काँके ज्यो उन्यो गादी का बचमें में हे वो वाँकी रुकाळी करी। अन वो वाँने जीवन देबावाळा पाणी की सोता का नके लेन जाई अन परमेसर वाँकी आक्याँ का हाराई आसूँ पुछ देई।”