ईसू वाँने क्यो, “मूँ मारी गवई पलई देवूँ, पछे भी मारी गवई मानबा जोगी हे, काँके मूँ जाणूँ हूँ के, मूँ कटाऊँ आयो हूँ अन कटे जाऊँ। पण थाँ ने जाणो हो के, मूँ कटाऊँ आयो हूँ अन कटे जाऊँ।
काँके परमेसर ज्यो भी वादो किदो हे वो ईसू मसी में हाँ में पूरो किदो हे अन आपाँ भी ईं वजेऊँ केवाँ हाँ के, अस्यानीस वे(आमीन) अन ओ परमेसर की मेमा का वाते वेवे हे।
वोईस आपणी देह को, मतलब मण्डली को मातो हे। वोईस सरुआत हे अन वोईस पेलो हे ज्यो मरयाँ तका मूँ पाछो जी उट्यो हो। ताँके हारी बाताँ में वींनेईस पेली जगाँ मले।
अवाज में अस्यान हमच्यार आरियो हो के, “जो कई भी थूँ देकरियो हे, वींने एक किताब का मयने लिकतो जा अन वींके केड़े वींने इपिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलोदेलफीया अन लिदिकिया की हातई मण्डळ्याँ ने खन्दा दिज्ये।”
तद्याँ में हरग ने खुल्यो देक्यो अन वटे कई देकूँ हूँ के, एक धोळो घोड़ा हे। अन वींके ऊपरे ज्या सवार हे वो विस्वास जोगो अन हाँचो हे, काँके वो हाँच का हाते न्याव को फेसलो अन लड़ई करतो हो।
“इपिसुस की मण्डली का दुताँ ने ओ संदेस लिक। जणी हातई तारा आपणाँ जीमणा हात में ले राक्या हे अन होना का हातई दिवा का बचमें में फरे हे वो अस्यान केवे हे के,
“फिलोदेलफीया की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। वीं ज्यो पुवितर अन हाँचा हे अन जिंका नके दाऊद राजा का नगर की कुस्याँ हे अन वो जणी बारणा ने खोले हे वींने कुई भी जड़ ने सके अन जिंने वो जड़ हे वींने कुई खोल ने सके। ओ अस्यान केवे हे के,