11 जीं बुरो करता आरिया हे, वीं बुरा करता रेवे। जीं भरस्ट हे वीं भरस्ट बण्या रेवे। जीं धरमी हे, वीं धरमी बण्या तका रेवे। जीं पुवितर हे वीं पुवितर बण्या तका रेवे।”
वाँने जाबा दो, वीं तो आंदा का आंदा नेता हे अन आंदो यद्याँ आंदा ने गेलो बतावे, तो दुई खाड़ा में पड़ जई।”
हड़क का आड़ी वणी एक अंजीर को रूँकड़ो देकन वो वींका भड़े ग्यो, तो वींने पान्दड़ा ने छोड़ वींमें ओरू कई ने मल्यो। तो ईसू रूँकड़ा ने क्यो, “अबे थाँरे में कदी कई फळ ने लागी।” अन वो रूँकड़ो तरत हुकग्यो।
“जद्याँ वीं लेबा ने जारी ही, तो बींद आ पूग्यो अन ज्यो त्यार ही, वीं तो वाँका हाते ब्याव में परीगी अन पछे कणी कमाड़ बन्द कर दिदा।”
जणीऊँ थाँ आपणाँ हरग का परम बापू की ओलाद केवावो, काँके वीं भला अन बुरा दुयाँ पे आपणो सुरज उगावे हे, अन धरमी अन पापी दुयाँ पे बरका वरावे हे।
धन्ने हे वी ज्यो धरम का काम करबा में आगता रेवे हे, परमेसर वाँकी मरजी पुरी करी।
ईसू पाछो एक दाण ओरी वाँने क्यो, “मूँ परो जाऊँ अन थाँ मने होदो, पण थाँ खुद का पाप मेंईस मरोगा। जटे मूँ जारियो हूँ, वटे थाँ ने आ सको।”
ताँके मसी वणी मण्डली ने अस्यी पुवितर अन बना दोस की बणान सजी-धजी तकी आपणाँ हामे लावे, ज्यामें ने कळंक, ने हळ, ने कई अस्यी कमी वे।
पण अबे परमेसर सरीर में मसी की देह की मोतऊँ थाँको मेल-मिलाप खुदऊँ करा दिदो हे। ताँके वो थाँने पुवितर, बना कळंक का अन निरदोस बणान खुद का हामे लावे।
अन बुरा अन धोको देबावाळा मनक धोको देता अन खुद धोको खाता तका हेलाऊँ हेला बुरा वेता तका परा जाई।
परमेसर थाँने पापऊँ बंचान आपणाँ हामे निरदोस साबत करन अन राजी करन आपणी मेमा करबा का वाते ऊबो कर सके हे।
आकासऊँ मण-मण का गड़ा मनकाँ पे पड़रिया हा। अन ईं विपती की टेम की वजेऊँ मनक परमेसर को अपमान किदो, काँके या घणी जोरकी विपती ही।
वटे कणी तरियाँ को कस्यो भी हराप ने वेई। परमेसर अन उन्याँ की गाद्दी वीं नगर में बणी रेई। वींका दास वींकी भगती करता रेई।