वणी लुगई लाल रंग का बेगनी गाबा पेर मेल्या हा। वाँ हीरा मोत्याऊँ अन होना, चाँदीऊँ खुद को सिगार कर मेल्यो हो। वींके हात में होना को प्यालो हो, जिंका में बुरी बाताँ अन कुकरम की चिजाँ भरी तकी ही।
ज्यो हरग-दुत माराऊँ बाताँ कररियो हो, वींका नके होनाऊँ एक नापवा की एक जरी बणी तकी हे, जणीऊँ वो वीं नगर ने अन वींकी फाटकाँ अन वींका परकोटा ने नाप सकतो हो।
अन नंदी का ईं पाल्डे अन पेला पाल्डे, जीवन को रूँकड़ो हो, वींमें बारा तरिया का फळ लागता हा। अन वो हरेक मिने फळतो हो। वीं रूँकड़ा का पान्दड़ाऊँ हारी जात्या जात्या का मनक हव वेता हा।
अन वीं गादी का हामें बिल्लोर का काँस का जस्यान दिकबावाळो समन्द हो। वीं समन्द का बचमें में अन गाद्याँ का च्यारूँमेर च्यार जीवता जीव हा, वाँके आगे-पाछे आक्याँ ईं आक्याँ ही।