परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
तद्याँ में समन्द का मयनेऊँ एक डरावणो जनावर ने बारणे निकळतो देक्यो। वींके दस तो हिंगड़ा अन हात माता हा। अन वणी आपणाँ हिंगड़ा पे दस राजमुकट पेर मल्या हा। वींका हरेक माता पे परमेसर को अपमान करबावाळा नाम लिक्या तका हा।