5 जद्याँ तईं एक हजार वर पूरा ने वे जावे, बाकी की मरिया तका मनक जीवता ने व्या। ओ पेलो पुनरुत्थान हे।
तद्याँ थूँ धन्न वेई, काँके वाँका नके थने देबा का वाते कई ने हे। ईंको फळ थाँने परमेसर वीं दन देई जद्याँ थाँ धरमी मनक का हाते पाच्छा जी उटी।”
काँके यद्याँ परमेसरऊँ वाँको नकारियो जाणो दनियाँ में मेल-मिलाप लावे, तो वाँने अपणायो जाणो मरिया तकाऊँ जिवाया जणो कोनी वे सके हे कई?
ताँके मूँ खुद मरिया केड़े पाछो जी उठ सकूँ।
काँके परबू खुद हरगऊँ उतरी अन वीं टेम परदान हरग-दुत को जोरको आदेस हुणाई अन परमेसर को वाक्यो बजायो जाई अन मसी में विस्वास करता तका जतरा मरग्या, वीं पेल्याँ जीवता वे जाई।
पण हाड़ा तीन दनाँ का केड़े परमेसर की जीवन की आत्मा वाँके मयने परीगी, जणीऊँ वीं आपणाँ पगा पे उठा वेग्या, जणा भी वाँने देक्या, वीं घणा दरपग्या।
हातवे दूत जद्याँ रणभेरी बजई, तो हरगऊँ जोरकी अवाज अई के, “अबे ईं धरती पे परबू अन वींका मसी को राज हे। अन वीं जुग-जुग तईं राज करी।”