काँके परमेसर वणा हरग दुताँ ने जी पाप करिया हा, वाँने भी ने छोड़्या अन वाँने पाताळ में अंदारा की कोटड़ी में नाक दिदा हे, ताँके वीं न्याववाळा दन तईं वटे पड़्या रे।
तो वो अजगर वीं लुगई पे गुस्सा में आग्यो, अन वो वीं लुगई का वाँ मनकाँ पे जी परमेसर की आग्या मान्याँ करता हा अन ईसू मसी की गवई देता हा वाँकाऊँ लड़बा का वाते निकळग्यो।
वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
में जणी जनावर ने देक्यो हो, वो दिकबा में तो चीता का जस्यान को हो, पण वींका पग रिसड़ा का जस्यान का अन मुण्डो नार की जस्यान को हो। अन वणी अजगर वींने आपणी गादी अन आपणाँ हाराई अदिकार, तागत हूँप दिदी।
वीं मनक वीं अजगर के धोक लागबा लागग्या, काँके वणी आपणाँ हाराई अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दे दिदा हा। पछे मनक वीं जनावर के भी धोक लागन केबा लागा, “ईं जनावर का जस्यान को कूण हे? ज्यो अणीऊँ लड़ सके?”
अन वीं सेतान ने ज्यो वाँने भरमातो हो, वीं वादी का कुण्ड में जिंका में वीं डरावणा जनावराने अन वींका जूटी आगेवाणी करवावाळा नाक्या ग्या हा, वींने भी नाक दिदो जाई, जिंमें वीं हमेस्यान दन रात तड़पता रेई।