तद्याँ वो परमेसर का गुस्सा का दाकरस ज्या वाँका गुस्साऊँ प्याला में गाळ्यो ग्यो हे, वींने पीई अन पुवितर हरग-दुताँ हामे अन उन्याँ का हामे वादी अन तेजाब का दुक में पड़ी।
वीं डरावणा जनावर ने अन वींके हाते जूटी आगेवाणी करबावाळा जी हेन्याण चमत्कार बतान वणा मनकाँ ने ज्यापे वीं जनावर की मोर लगई ही अन वींकी मूरत ने पुजा करता हा, वाँने पकड़ लिदा। वणा दुया ने वीं वादी की बळता तका नरक का कुण्ड में जीवताई नाक दिदा ग्या।
अन वीं सेतान ने ज्यो वाँने भरमातो हो, वीं वादी का कुण्ड में जिंका में वीं डरावणा जनावराने अन वींका जूटी आगेवाणी करवावाळा नाक्या ग्या हा, वींने भी नाक दिदो जाई, जिंमें वीं हमेस्यान दन रात तड़पता रेई।
ज्यो मनक समन्द में मरग्या हा वाँने समन्द दे दिदा अन मोत अन पाताळ में ज्यो मनक हा, वाँने भी वणी दे दिदा। हाराई को न्याव वाँका कामाँ का जस्यान किदो ग्यो।
वीं धन्न अन पुवितर हे ज्यो ईं पेला पुनरुत्थान का भागी बणी, अणापे दूजो मोत को कई अदिकार ने, पण ईं परमेसर अन मसी का याजक वेई, अन वींके हाते एक हजार वर तईं राज करी।
पण दरपण्या अन बना विस्वासवाळा, भरस्ट, हत्यारा अन कुकरमी, जादु-टोना करबावाळा, मूरती पुजबावाळा, अन हाराई जूट बोलबावाळा को भाग वीं कुण्ड में मली ज्यो हमेस्यान बळतो रेवे हे। या दूजी मोत हे।”
अन में फिका पीळा रंग को घोड़ा देक्यो। ज्यो वींपे सवार हो वींको नाम मोत हो, वींके पाछे-पाछे पाताळ हो वींने धरती का एक चोता भाग पे हक दिदो ग्यो के, वो तरवारऊँ, काळऊँ, मांदकीऊँ अन धरती का जनावराऊँ मनकाँ ने मरावे।