13 ज्यो मनक समन्द में मरग्या हा वाँने समन्द दे दिदा अन मोत अन पाताळ में ज्यो मनक हा, वाँने भी वणी दे दिदा। हाराई को न्याव वाँका कामाँ का जस्यान किदो ग्यो।
अन हे कफरनूम, कई थूँ बच्यार करे हे के, थने हरग में उटायो जाई? थूँ तो पाताळ में नाक्यो जाई। जीं अचम्बा का काम थाँरा में किदा ग्या, यद्याँ सदोम में किदा जाता, तो वटा का मनक आपणाँ मना ने पापऊँ फेर लेता अन आज तईं वो नगर बस्यो तको रेतो।
वींके केड़े में फोराऊँ लेन मोटा तईं का हाराई मरिया तका मनकाँ ने वीं गादी का हामे ऊबा तका देक्यो, अन थोड़ीक पोत्याँ खोली गी वणाके केड़े एक ओरी पोती खोली गी, याईस “जीवन की पोती हे।” वाँके करमा का जस्यान ज्या ईं पोती में लिक्या ग्या हा, मरिया तका को न्याव किदो ग्यो हो।
अन में फिका पीळा रंग को घोड़ा देक्यो। ज्यो वींपे सवार हो वींको नाम मोत हो, वींके पाछे-पाछे पाताळ हो वींने धरती का एक चोता भाग पे हक दिदो ग्यो के, वो तरवारऊँ, काळऊँ, मांदकीऊँ अन धरती का जनावराऊँ मनकाँ ने मरावे।