1 “इपिसुस की मण्डली का दुताँ ने ओ संदेस लिक। जणी हातई तारा आपणाँ जीमणा हात में ले राक्या हे अन होना का हातई दिवा का बचमें में फरे हे वो अस्यान केवे हे के,
परबू का मन्दर को मूरत्याऊँ कई वेवार? काँके आपाँ खुदईस जीवता परमेसर का मन्दर हा, जस्यान वणा खुदईस क्यो हो, “मूँ वाँका में वास करिया करूँ, वाँका में चालूँ-फरूँ। मूँ वाँको परमेसर वेऊँ अन वीं मारा मनक वेई।
वणा हात तारा ने जिंने थें मारा जीमणा हात में देक्या हा अन वाँ हात होना का दिवा को भेद ओ हे के, वीं हात तारा हातई मण्डळ्याँ का हात दुताँ ने दिकावे अन वीं हात दिवा हातई मण्डळ्याँ ने दिकावे हे।
ईंका केड़े आकास में एक मोटो हेन्याण परगट व्यो, एक लुगई दिकई दिदी वणी सुरज ने धारण कर मेल्यो हो अन चाँद वींके पगा का रेटे हो। वींके माता पे मुकट हो, जिंका ऊपरे बारा तारा जड़या तका हा।
“सरदीस की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। जिंका नके परमेसर की हात आत्मा अन हात तारा हे वो अस्यान केवे हे, मूँ थाँका करम जाणूँ हूँ। थाँ जीवता तो केवावो हो, पण हाँची में मरिया तका हो।
“फिलोदेलफीया की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। वीं ज्यो पुवितर अन हाँचा हे अन जिंका नके दाऊद राजा का नगर की कुस्याँ हे अन वो जणी बारणा ने खोले हे वींने कुई भी जड़ ने सके अन जिंने वो जड़ हे वींने कुई खोल ने सके। ओ अस्यान केवे हे के,