13 वणी लुई में भिज्या तका गाबा पेर मेल्या हा। अन वींको नाम “परमेसर का वसन” हो।
किंकी भी रचना करबाऊँ पेल्या बचन हो अन बचन परमेसर का हाते हो अन वो बचनइस परमेसर हे।
अन बचन देह रूप धारण लिदो अन दया अन हाँचऊँ भरियो-पुरयो वेन आपणाँ बचमें वास किदो। आपाँ वींकी अस्यी मेमा देकी, या बापू परमेसर का एकाएक बेटा की मेमा ही।
आपाँ वणी जीवन का बचन की बात करा हाँ, ज्यो किंकी भी रचना वेबाऊँ पेल्याई हो, आपाँ ईंने हुण्यो, आपणी आक्याँऊँ देक्यो, ईंपे ध्यान लगायो, अन आपाँ खुद वींके हात अड़ायो।
गवई देबावाळा तीन हे।
जणीऊँ वणा अंगूर ने नगर का बारणे गुद्या ग्या, अन रस कुण्ड मयनेऊँ अतरो लुई निकळग्यो के, वो घोड़ा की लगाम तईं पोंछग्यो अन हो कोस तईं फेलग्यो।