1 ईंका केड़े मने हरग में घणा मनकाँ को एक हाते अवाज हुणई दिदी वीं जोरऊँ केरिया हा, “हलेलुय्या! परमेसर की मेमा वेवे! काँके छुटकारो, तागत अन मेमा वींइस देवे हे।
माँने अस्यी तागत देज्यो ताँके, माँ हारी तरिया की परक को सामनो कर सका, अन माने बुरईऊँ बचावो। काँके राज अन तागत अन मेमा हमेस्यान थाँकीस हे।’” आमीन।
हातवे दूत जद्याँ रणभेरी बजई, तो हरगऊँ जोरकी अवाज अई के, “अबे ईं धरती पे परबू अन वींका मसी को राज हे। अन वीं जुग-जुग तईं राज करी।”
ईंका केड़े मने हरगऊँ जोरकी अवाज हुणई दिदी, “अबे आपणाँ परमेसर को छुटकारो, तागत, अन वींको राज अन मसी को अदिकार परगट व्यो हे, काँके आपणाँ भायाँ पे दोस लगाबावाळो, ज्यो रात-दन आपणाँ परमेसर का हामे वणापे दोस लगाया करतो हो, वींने हरगऊँ रेटे फेंक दिदा ग्यो।
ईंका केड़े में पाछो घणा हाराई मनकाँ की भीड़ की अवाज हूणी ओ अस्यान लागरिया हो जस्यान के पाणी की जरणा वे कन जस्यान वादळा की गाजबा की अवाज वेवे। वीं मनक गारिया हा, “हलेलुय्या! आपणाँ परबू परमेसर की जे हो! काँके सर्वसक्तिमान परमेसर राज करे हे।