“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ आरास ढोळी तगी कबराँ का जस्यान हो ज्यो ऊपरेऊँ रुपाळी नजरे आवे हे, पण मयनेऊँ मरिया तका मनकाँ का हाड़क्या अन हारई तरिया की हुगली बाताँऊँ भरी तकी हे।
जणीऊँ धरमी हाबिलऊँ लेन बरक्या का पूत जकरय्या तईं, जिंने थाँ मन्दर अन वेदी का वसमें मार नाक्यो हाँ, अन जतरा धरमिया की हत्या अटे धरती पे वीं हे, वणा हारई मनकाँ की हत्या की सजा थाँका माता आई।
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।
काँके अणा मनकाँ थाँका दासा अन थाँका आड़ीऊँ बोलबावाळा को लुई वेवाड़्यो हे। थाँ न्याव करबावाळा हो, थाँ वाँके पिवा का पाणी ने लुई बणा दिदो, काँके वीं अणीईस जोगा हे।”
वाँका हाराई फेसला हाँचा अन न्याव करबावाळा हे, काँके वणी वीं वेस्याँ को ज्या धरती का मनकाँ ने कुकरम करवाती अन वाँने वगाड़ती ही वींको न्याव करियो ग्यो हे, अन हातेई हाते आपणाँ दासा का लुई को बदलो लिदो ग्यो हे।”