पुराणी टेम में ईं राज ने मनकाँ पे परगट ने किदो ग्यो हो, अबाणू परमेसर पुवितर आत्माऊँ वींका पुवितर थरप्या तका अन वाँका आड़ीऊँ बोलबावाळा पे परगट किदो ग्यो।
वाँकाणी किंनेई तो थरप्या तका वेबा का वाते, अन किंनेई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा, किंनेई तो हव हमच्यार हुणाबावाळा, अन किंनेई तो परमेसर का मनकाँ का गवाळ अन किंनेई हिकाबावाळा बणाया।
जणीऊँ थाँ वीं बाताँ ने जी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ पेल्याँई क्यो हो, वाँने थाँ आद कर सको अन आपणाँ छुटकारो देबावाळा परबू ईसू मसी की आग्या ने, अन जो थाँका खासतोर थरप्या तका चेला थाँने जो आग्या दिदी ही, वाँको थाँ ध्यान कर सको।