13 दाळ चीणी, मसाला, वाना आबावाळी धुप, रस गंध, लोबान, दाकरस, जेतुन को तेल, मेदो, गव, गाया, बळद, गारा, बकरी, रत घोड़ा। अन मनकाँ ने गुलाम बणाबा का वाते भी वसे हे।”
कुकरमी, मनक मनक का हाते कुकरम करबावाळा, मनकाँ ने बेचबावाळा, जूट बोलबावाळा, अन जूटी होगन खाबावाळा, ईंके अलावा खरी हिक को विरोद करबावाळा का वाते ठेरईगी हे।
वीं लाळच की वजेऊँ थाँने दिकावटी बाताँ बोलन थाँकाऊँ धन कमाई। वाँको दण्ड तो पेल्याँऊँ परमेसर ते कर मेल्यो हे अन वाँको नास वाँकी वाट नाळरियो हे।
“हे बाबुल नगर! जणी चिजाँ में थाँरो मन लागरियो हो, वीं हारी थने छोड़न परीगी। अन आज थाँरा नके कई भी भोग-विलास भी ने बच्यो हे। अन ने थने पाछो कदी मली।”
“वीं लेण-देण करबावाळा, जीं अणा चिजाँ को वोपार करन रिप्यावाळा बणग्या हा, वीं वींके ओ दण्ड देकन रोता तका अन दरपता तका छेटी ऊबा वेन क्यो,