वींके केड़े दूज्यो हरग-दुत आन केबा लागो, “वीं मोटा नगर बाबुल को नास वे चुक्यो हे, वींको नास वे चुक्यो हे। अणी नगर हाराई मनकाँ ने आपणाँ कुकरम की वासना को दाकरस पायो हो।”
अन मोटा नगर का तीन टुका वेग्या अन पापी मनकाँ का हाराई नगर नास वेग्या। परमेसर बाबुल नगर ने दण्ड देबा का वाते आद किदो, जणीऊँ वीं वींने आपणाँ गुस्साऊँ भरिया तका दाकरस का प्यालो पावे।
“जी दस हिंगड़ा थें देक्या हे, वीं भी दस राजा ने दिकावे हे, पण वाँने आलतरे तईं राज-दरबार ने मल्यो। पण वाँने डरावणा जनावर का हाते थोड़ीक टेम का वाते राज करबा को हक दिदो जाई।
“अणा बाताँ का केड़े में एक जोरावर हरग-दुत ने चक्की का पाट की जस्यान की मोटी छाँट तोकन वींने समन्द पे फेंकते तके क्यो, “यो बाबुल नगर भी, ईं छाँट का जस्यान फेंक दिदो जाई। अन पाछो कदी ने लादी।