1 ईंका केड़े में एक ओरी हरग-दुत ने हरगऊँ रेटे उतरतो तको देक्यो, जिंका नके मोटो अदिकार हो, वींके मयने अस्यान को उजितो हो जणीऊँ हारी धरती पे उजितो वेग्यो।
ईंका केड़े में हरगऊँ एक जोरावर हरग-दुत ने रेटे उतरतो देक्यो। वींके च्यारूँमेर वादळा हा, वींके मातो का नके मेघ धनुस हो। वींको मुण्डा सुरज की जस्यान चमकरियो हो अन वींका पग वादी का थाम्बा का जस्यान हा।
तद्याँ वीं हरग-दुत माराऊँ क्यो, “थूँ अचम्बो में काँ पड़ग्यो? मूँ थने ईं लुगई अन वीं डरावणा जनावर का बारा में जिंका हात माता अन दस हिंगड़ा हे, वींको भेद बताऊँ।