अन वणीऊँ क्यो, “हाराई तो पेल्याँ हव अंगूरा को रस परुसे हे अन जद्याँ पावणा घणा पीन धाप जावे हे। तो वाँने, हलको अंगूरा को रस देवे हे, पण थाँ हव रस अबाणू तईं राक मेल्यो हे।”
अन जद्याँ थाँरा गवा इस्तीपनुस ने माररिया हा, वीं दाण मूँ भी वटीस ऊबो हो अन में भी वींमें हात दिदो। जीं लोग वींने माररिया हा वाँका गाबा की रुकाळी कररियो हो।”
वींने दूजाँ वीं पेला डरावणा जनावर की मूरती में जीव नाकबा को हक दिदो ग्यो हो, जणीऊँ वाँ मूरती बोलबा लागे। वीं मूरत के जतरा भी मनक धोग ने लागी, वाँने वो मरवा देई।
काँके अणा मनकाँ थाँका दासा अन थाँका आड़ीऊँ बोलबावाळा को लुई वेवाड़्यो हे। थाँ न्याव करबावाळा हो, थाँ वाँके पिवा का पाणी ने लुई बणा दिदो, काँके वीं अणीईस जोगा हे।”
मूँ जाणूँ हूँ के, थूँ वटे रेवे हे जटे सेतान की गाद्दी हे। अन मारा ईं नाम पे विस्वास करे हे जद्याँ के, थाँरा नगर में मारो विस्वास जोगो दास अन्तिपास वटे मारिया ग्यो, जटे सेतान की जगाँ हे। तो भी थूँ विस्वासऊँ ने छेटी व्यो।