वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
अन मोटा नगर का तीन टुका वेग्या अन पापी मनकाँ का हाराई नगर नास वेग्या। परमेसर बाबुल नगर ने दण्ड देबा का वाते आद किदो, जणीऊँ वीं वींने आपणाँ गुस्साऊँ भरिया तका दाकरस का प्यालो पावे।
वणी जोरऊँ हेला पाड़न क्यो के, “बाबुल नगर धड़ग्यो, ओ नगर तो धड़ग्यो। ओ नगर हरेक तरियाँ की हुगली आत्मा को, हाराई असुद पकसी को अन काकड़ का बुरा जनावर को अडो बणग्यो हे।