तद्याँ वो परमेसर का गुस्सा का दाकरस ज्या वाँका गुस्साऊँ प्याला में गाळ्यो ग्यो हे, वींने पीई अन पुवितर हरग-दुताँ हामे अन उन्याँ का हामे वादी अन तेजाब का दुक में पड़ी।
वाँका हाराई फेसला हाँचा अन न्याव करबावाळा हे, काँके वणी वीं वेस्याँ को ज्या धरती का मनकाँ ने कुकरम करवाती अन वाँने वगाड़ती ही वींको न्याव करियो ग्यो हे, अन हातेई हाते आपणाँ दासा का लुई को बदलो लिदो ग्यो हे।”