वाँ दुई हरग दुताँ के आया केड़े एक ओरी हरग-दुत आयो अन केबा लागो, “जद्याँ कुई ईं डरावणो जनावर अन ईंकी मूरत के धोक लागे अन ईंकी छाप ने आपणाँ माता पे अन हात पे लगावे,
पेले हरग-दुत जस्यानी रणभेरी बजई, वस्यानई लुई वाळा गड़ा अन वादी दिकई दिदी अन वाँने धरती पे फेंक दिदा। जणीऊँ धरती को एक तीहाई भाग बळग्यो। एक तीहाई रूँकड़ा बळ ग्या अन हाराई लिलो चारो भी बळग्यो।