18 तद्याँ विजळी कड़कवा लागी, वादळा गाजबा लागा अन जोरको भूकम आयो अस्यान को जोरको भूकम आयो, जो पेल्याँ धरती पे कदी ने आयो।
काँके वाँ दनाँ में अस्यो कळेस वेई, जस्यो जद्याँऊँ परमेसर ईं धरती ने बणई, वीं दनऊँ आज तईं कदी भी ने व्यो अन ने आगे कदी वेई।
वीं टेम में एक जोरऊँ भूकम आयो, जणीऊँ नगर को दसमो भाग धड़ी ग्यो, अन वीं भूकमऊँ हात हजार मनक मरग्या, बाकी मनक दरपग्या अन वणा हरग का परमेसर की मेमा किदी।
ईंका केड़े परमेसर का मन्दर ने जो हरग में हे वींने खोल्यो ग्यो, अन वीं मन्दर में मने वादा वाळी पेटी दिकई दिदी। वींके केड़े विजळी चकमवा लागी अन कड़कवा की अवाज हुणई देबा लागी अन वादळा गाजबा लाग्यो, अन भूकम आबा लागो अन गड़ा पड़बा लागा।
अन वीं गादी मेंऊँ विजळी अन वादळा के गाजबा की अवाज आरी ही। गाद्दी का हामे हात मसाळ चालरी ही, ईं मसाळ परमेसर की हात आत्मा हे।
वींके केड़े जद्याँ उन्ये छटी मोर खोली, तो में जोरको भूकम आता देक्यो, जणीऊँ सुरज केलड़ी का पिदा जस्यान काळो अन चाँद लुई की जस्यान रातो वेग्यो।
हरग-दुत धुपदानऊँ वेदी की वादी लेन धरती पे फेंक दिदी, तो वादळा में गाजबा लागो अन विजळी चाली अन भूकम आयो।