थाँ पेल्याँ दनियाँ का हूँगला नेमा पे चालता हा। अन वीं वादळा की आत्मिक सगत्याँ का राजा ने मानता हा, ज्यो आत्मा लोगाँ ने अबे परमेसर को मान ने करबा का वाते मजबूर करती ही।
ईंका केड़े परमेसर का मन्दर ने जो हरग में हे वींने खोल्यो ग्यो, अन वीं मन्दर में मने वादा वाळी पेटी दिकई दिदी। वींके केड़े विजळी चकमवा लागी अन कड़कवा की अवाज हुणई देबा लागी अन वादळा गाजबा लाग्यो, अन भूकम आबा लागो अन गड़ा पड़बा लागा।
अतराक में एक हरग-दुत मन्दर मयनेऊँ बारणे आयो अन वो वणीऊँ ज्यो वादळा पे बेट्यो तको हो, जोरऊँ हेलो पाड़न क्यो, “दाँतळी चलान हाक भेळी कर, काँके धरती की हाक पाकगी हे अन हाक भेळी करबा की टेम आगी हे।”