15 “हूँस्यार रेज्यो! काँके मूँ चोर की जस्यान अणाचेत को आऊँ हूँ। धन्न हे वीं ज्यो जागता रेवे हे, अन आपणाँ गाबा हमाळी राके हे, जणीऊँ वीं उगाड़ा ने रेई अन मनक वाँने नांगा ने देकी।”
तो पछे ईसू क्यो, “ईं वाते हेंचेत रेवो, काँके थाँ ने तो वीं दन ने जाणो हो, ने वीं टेम ने, जद्याँ मनक को पूत आई।”
जागता रेवो, अन परातना करता रेवो के, ताँके थें जाँच-परक में ने पड़ो। आत्मा तो त्यार हे, पण सरीर दुबळो हे।”
जागता रेवो अन परातना करो, जींऊँ थाँ कस्यी भी जाँच-परक में ने पड़ो। आत्मा तो त्यार हे, पण सरीर घणो दुबळो हे।”
ईं वाते जागता रो अन हरेक टेम परातना करता रेवो, ताँके थाँ अणा हारी आबावाळी आपतीऊँ बचन अन मूँ मनक का पूत का हामें ऊबा रेवा के जोगा बण सको।”
ईं वाते हूँस्यार रेवो, अन ओ ध्यान राको के, में तीन वर तईं रात-दन आसूँ का हाते थाँ हाराई ने हिकाया।
अन आपाँने यो पाको पतो हे के, एक दन जरुर आपाँ वींमें जावाँ अन वींका केड़े आपाँ उगाड़ा ने रेवा।
पण भायाँ-बेना, थाँ तो ईं अंदारा में ने हो के, परबू के पाच्छा आबा को दन थाँका पे अणाचेत को चोर की जस्यान आ जावे।
ईं वाते दूजाँ के जस्यान आपाँने हूतो तको ने रेणो छावे, पण हेंचेत अन खुद ने काबू में राकणो छावे।
वाँ टेम नके हे, जद्याँ हारोई नास वे जाई। ईं वाते थाँ हमजदार बणो अन खुद ने बंस में राको, जणीऊँ थाँने परातना करबा में मदत मले।
परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
ईसू क्यो, “हुणो, मूँ पगई आरियो हूँ। धन्न हे वाँने जो ईं किताब में दिदा ग्या वसना को पालण करे हे। जीं परमेसर का आड़ीऊँ किदी तकी बाताँ हे।”
मूँ वेगोई आबावाळो हूँ। ईं वाते ज्यो कई भी थाँरा नके हे वींमें ठम्याँ तका रो, जणीऊँ कुई थाँका जुग-जुग का जीवन को मुकट कोसी ने सके।
ईं वाते मूँ थने सला देरियो हूँ के, थूँ माराऊँ हव होनो लेन रिप्यावाळा बणजा। पेरबा वाते धोळा गाबा भी लिले, जणीऊँ थाँरो नागोपणो ढकी जावे, ताँके थाँरो तमासो ने बणे। थाँरी आक्याँ में लगाबा का वाते दवा(सुरमो) लिले, जणीऊँ थने दिकबा लाग जावे।