10 वींके केड़े पाँचवे हरग-दुत आपणो प्यालो वीं डरावणा जनावर की गादी पे उँन्धई दिदो, जणीऊँ वींका राज-दरबार में अदंकार वेग्यो। घणा दुक की वजेऊँ वटा का मनक आपणी जीब के बटका भर लिदा।
“थाँ अबराम, इसाक, याकूब अन नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने परमेसर का राज में देको, पण यद्याँ थाँने परमेसर का राजऊँ बारणे काड़ दिदा जाई, जटे तो बेस रोवणो अन दात पिसणाईस वेई।
पण मन्दर की चार दिवारी की जगाँ ने मती नापज्ये, काँके ओ जो यहूदी ने हे वणा मनकाँ ने दिदो ग्यो। वीं बयालिस मिना तईं आपणाँ पगाँऊँ वीं पुवितर नगर ने गूंदी।
काँके परमेसर जटा तईं आपणी बात ने पुरी करबा का वाते वाँके मन में अस्यान करी अन वाँने एक मन वेन अस्यान करबा का वाते उकसाई, जणीऊँ वीं आपणी तागत अन आपणो अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दी दे।
वणी जोरऊँ हेला पाड़न क्यो के, “बाबुल नगर धड़ग्यो, ओ नगर तो धड़ग्यो। ओ नगर हरेक तरियाँ की हुगली आत्मा को, हाराई असुद पकसी को अन काकड़ का बुरा जनावर को अडो बणग्यो हे।
“अणा बाताँ का केड़े में एक जोरावर हरग-दुत ने चक्की का पाट की जस्यान की मोटी छाँट तोकन वींने समन्द पे फेंकते तके क्यो, “यो बाबुल नगर भी, ईं छाँट का जस्यान फेंक दिदो जाई। अन पाछो कदी ने लादी।
नेई थाँरा में कदी पाछो दिवा का उजितो वेई, अन नेई बींद बिदणी की अवाज हुणई देई। काँके थाँरा लेण-देण करबावाळा वोपारी धरती का परदान हा, अन थाँरा में जी जादु-टोना टोटका व्या करता हा, वणाऊँ हारी जात्या ने भटकई गी ही।
जद्याँ चोते हरग-दुत रणभेरी बजई, तो एक तीहाई सुरज, चाँद अन तारा पे विपती आई। ईं वजेऊँ वाँको एक तीहाई भाग काळो पड़ग्यो। जिंका वजेऊँ एक तीहाई दन अन रात में अन्दारो वेग्यो।