काँके वटा का मनक खुद ईं माकाँ बारा में बतावे हे के, कस्यान माँ थाँका नके आया अन कस्यान थाँ मूरत्याँ ने छोड़न जीवता अन हाँचा परमेसर की सेवा करबा का वाते फरग्या हाँ।
तद्याँ वो परमेसर का गुस्सा का दाकरस ज्या वाँका गुस्साऊँ प्याला में गाळ्यो ग्यो हे, वींने पीई अन पुवितर हरग-दुताँ हामे अन उन्याँ का हामे वादी अन तेजाब का दुक में पड़ी।
ईंका केड़े में हरग में एक ओरी अचम्बो करबावाळो हेन्याण देक्यो, में कई देक्यो के, हात हरग-दुत हे अन वाँके नके हात विपत्याँ ही। काँके ईं आकरी नास के पूरो व्या केड़े परमेसर को गुस्सा को भी अंत वे जाई।
पछे वणा हाताँ दुताँ का नके आकरी हात विपत्याऊँ भरिया तका हात प्याला हा, वणा मेंऊँ एक मारा नके आयो अन माराऊँ बात करन क्यो, “अटे आ, मूँ थने वणी लाड़ी ने बताऊँ, ज्याँ उन्याँ की लुगई हे।”
अन जद्याँ वणी किताब ले लिदी, तो वणा च्यारई जीवता जीव अन वीं चोवीस पुरवज वींके धोक लाग्या। वणा हाराई का नके विणा ही अन वीं वाना आबावाळी चिजाँऊँ भरिया तका होना का प्याला लेन राक मेल्या हा। यो धरमिया की परातना दिकावे हे।